सतेंद्र पाठक की रिपोर्ट :
बेतिया : प0 चम्पारण सिविल सर्जन कार्यालय में पूर्व की दवा क्रय मामले की जांच में निदेशक प्रमुख आर डी रंजन एवं अन्य कर्मचारी पहुंचे। मामला एल टी डी की सुविधा नहीं रहने के बावजूद एल टी डी मायल की अनियमिता ढंग से पाए गए, जिसका खर्च का ब्यौरा देने से पदाधिकारी हिचकिचा रहे हैं। उक्त बातें डाक्टर आर डी रंजन निदेशक प्रमुख, डॉक्टर गणेश कुमार आशीष डायरेक्टर एनडीटी एंड टीडी ने नियमित खरीदारी मामले की जांच करने के दौरान सीएस कार्यालय में कही।
आगे डॉक्टर रंजन ने बताया कि स्वास्थ्य समिति के पत्र 30167 दिनांक 16 सितंबर 2011 की वैधता अवधि 16 सितंबर 2011 से 31 मार्च 2013 तक रहने के बावजूद क्रमांक 21 पर दर्ज एलटीडी मायल को तत्कालीन सिविल सर्जन सह सचिव स्वास्थ्य समिति डॉक्टर गोपालकृष्ण एवं लेखा प्रबंधक रैली रामाशीष बैठा की प्रतिनियुक्ति रोकड़ पर अनियमितता,डीएचएस 652 दिनांक 8 अक्टूबर 2013 के द्वारा कुल 500 मॉडल 675480 एवं दूसरा कार्यादेश डीएचएस 228 दिनांक 9 मार्च 2014 के द्वारा कूल 2000 मॉडल मूल्य 2701920 रूपया की खरीदारी की गई।
इतना ही नहीं यह दवा स्वास्थ्य संस्थान जहां बड़े अस्पताल जटिल प्रसव एलटीडी की सुविधा संस्थान में दी जा रही थी। परंतु यहां एल टू स्तर की सुविधा युक्त संस्थानों को दिए जाने की बात कही जा रही है। इतना ही नहीं इस मायल में क्रय लिपिक नहीं रहने के बावजूद भी क्रय लिपिक की हैसियत से हस्ताक्षर किया गया है। जो क्रय लिपिक पूर्व से स्वास्थ्य निदेशालय बिहार पटना एमएसडी कल कोलकाता से दवा में अनियमितता में सहभागिता के आरोप में निलंबित था। जिससे तत्कालीन सीएस ने लीपिक को एसीपी का लाभ नहीं दिया। की जांच की गई।
आगे निदेशक प्रमुख ने बताया कि यह जांच अंतिम जांच है। यह जांच प्रतिबंध विभाग को सौंपा जाएगा। निर्देश प्रमुख ने बताया कि यह मायल महत्वपूर्ण है। इसका खुलासा वन गमन की आशंका आडिट ने व्यक्त की थी कि इस आयल की खरीद का कोई पीएससी में इंट्री नही है। लेकिन दवा मिला ही नहीं, लेकिन दवाएं स्टॉक इंट्री में है। तो यह सही माना जाएगा कि स्टाक इंट्री का साक्ष्य है। जिससे सभी पीएचसी दवा भंडार वालो में हड़कंप की स्थिति है। लेकिन चर्चाओं का बाजार गर्म है कि केवल जांच पर जांच होता है , लेकिन कार्यवाही शून्य है।