भारतीय गुलाम के साथ महलों में रात गुजारती थी ये महरानी, दुनिया भर में थी हुकमत

नई दिल्ली : इश्क़ पर जोर नहीं ग़ालिब, ये वो आतिश है कि जो लगाए न लगे, बुझाये न बुझे। ग़ालिब का ये कथन हर दौर के प्रेमी-प्रेमिकाओं पर सटीक बैठता है। इश्क़ अंजाम की परवाह नहीं करता, क्योंकि इश्क़ हर रोज़ अपनी नई शुरुआत करता है। आप सोच रहे होंगे कि हम आपको ये प्यार, इश्क़ और मोहब्बत के अलफ़ाज़ क्यों सुना रहे है ? दरअसल आज हम प्यार के ऐसे फंसने को बयां करने जा रहे हैं, जो अब तक अनसुना रहा है और जो अब किसी न किसी रूप में लोगों के सामने आने लगा है।

दरअसल ये फंसाना ब्रिटिश शासनकाल का है। हुआ कुछ यूँ कि आगरा जेल से कुछ बुनकर कैदियों को ब्रिटेन में उनका काम दिखाने के लिए ले जाया गया था। यहां से बुनकर कैदियों के साथ अब्‍दुल को ब्रिटेन जाने का मौका मिला था। ब्रिटिश अधिकारियों ने सभी कैदियों को महारानी विक्‍टोरिया के समक्ष पेश किया। क्‍वीन विक्‍टोरिया को अब्‍दुल पहनी नजर में ही पसंद आ गया था। यह बात खुद उन्‍होंने अपने डायरी में लिखी है।

अब्‍दुल जब महारानी के समक्ष पेश हुआ था तो उसे महारानी का अर्दली बना दिया गया था। ऐसा इसलिए क्‍योंकि महारानी को भारत से बहुत लगावा था। कहा जाता है कि क्‍वीन विक्‍टोरिया अब्‍दुल की खिदमत से इतना खुश हुई थीं कि उन्‍होंने दो माह के अंदर ही उसे अर्दली से मुंशी बना दिया था।

बीतते वक्‍त के साथ-साथ क्‍वीन विक्‍टोरिया और अब्‍दुल की नजदीकियां बढ़ रही थीं। इसी के साथ ही अब्‍दुल का ओहदा भी बढ़ रहा था। अब्‍दुल मुंशी से अब इंडियन सेक्रेटरी बन चुका था। इस दौरान विक्‍टोरिया ने कई नोट लिखे, जिससे पता चलता है कि वह अब्‍दुल के नजदीक आ चुकी हैं। लेकिन एक घटना ने पूरे ब्रिटिश शाही परिवार को हिला कर रख दिया। हुआ दरअसल ये कि 1890 में क्‍वीन विक्‍टोरिया अब्‍दुल के साथ बैलमोरल के उस रिमोट हाउस में रात भर अकेली ठहरीं, जहां कभी वह अपने पति और बाद मे ब्‍वॉयफ्रेंड माने जाने वाले ब्रॉन के साथ रुका करतीं थीं।

 

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