सरकार सितंबर से पाठशालाएँ खोलने पर विचार कर रही है, कितने तैयार हैं गार्जियन?
19 अगस्त 2020.
न्यूज़ एडिट:सतीश भारतीय
हिंदुस्तान हेडलाइंस डेस्क
देश में कोरोना वायरस की महामारी की वजह लॉकडाउन लागू हुआ तो जिंदगी रुक गई. आवागमन के साधनों के पहिए रुक गए, उद्योग-धंधों पर ब्रेक लग गया तो स्कूल-कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थान भी बंद हो गए. अब आहिस्ता-आहिस्ता जीवन को पटरी पर लाने के प्रयास में जुटी सरकार सितंबर माह से स्कूल खोलने की स्वीकृति देने पर विचार कर रही है. ऐसे में अब प्रश्न यह भी उठ रहा है कि जब कोरोना तेज रफ्तार से बढ़ रहा है,तब क्या गार्जियन अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार हैं?
राजधानी दिल्ली और आसपास के शहरों में रहने वाले ज्यादातर अभिभावक स्कूल खोले जाने के पक्ष में नहीं हैं. उनका मानना है कि शैक्षिक सत्र में स्कूलों को खोलने से कोरोना के मामलों में और वृद्धि होगी और बच्चों की जान खतरे में रहेगी. ऐसे में पढ़ाई के लिए ऑनलाइन माध्यम का ही उपयोग होना चाहिए. अभिभावक ऑनलाइन क्लासेज से प्रसन्न दिखाई दे रहे हैं. अभिभावकों का मानना है यह कि ऑनलाइन क्लासेज से बच्चों की पढ़ाई भी हो रही है और साथ ही कोरोना से सुरक्षा भी है.
ऐसा माना जा रहा है कि केंद्र सरकार की तरफ से गाइडलाइन जारी किए जाने के पश्चात स्कूल खोलने का निर्णय राज्यों की सरकार पर छोड़ा जाएगा. लेकिन फिर भी निजी स्कूलों में फिर से क्लासेज शुरू करने की तैयारियां तेज हो गई हैं. एक प्राइवेट स्कूल की प्रिंसिपल ज्योति अरोड़ा का कहना है कि उन्होंने केंद्र सरकार को कुछ और प्रिंसिपल के साथ मिलकर एक ड्राफ्ट तैयार कर भेजा है, जिसमें कोरोना को देखते हुए स्कूल में क्लासेज के संचालन को लेकर कार्ययोजना बनाई गई है. इसमें छात्र, अभिभावक और आगंतुकों को लेकर कई तरह के दिशा-निर्देश बनाये गए हैं. जिससे कोरोना संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है.
दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट आरसी जैन का कहना है कि पब्लिक स्कूल सरकार के आदेशों का पालन करने को तैयार हैं. सरकार की ओर से जो भी दिशा- निर्देश स्कूल खोलने के लिए तय किये जायेंगे वो हमें स्वीकार होंगे.आरसी जैन ने यह भी कहा कि स्कूल ऑड-इवन नियम से खोले जा सकते हैं.यानी स्कूल के बच्चों को संख्या के आधार पर आधा-आधा बांट दिया जाएगा और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी उचित तरीके से हो सकेगा.