भारत की आजादी से पहले 21 अक्टूबर 1943 को ही सिंगापुर में Subhash chandra bose ने बनाई थी आजाद सरकार,आरजी हुकूमत-ए-आजाद हिंद
भारत की आजादी से पहले 21 अक्टूबर 1943 को ही सिंगापुर में Subhash chandra bose ने बनाई थी आजाद सरकार,आरजी हुकूमत-ए-आजाद हिंद

भारत की आजादी से पहले 21 अक्टूबर 1943 को ही सिंगापुर में Subhash chandra bose ने बनाई थी आजाद सरकार,आरजी हुकूमत-ए-आजाद हिंद

इसी दिन नेताजी Subhash chandra bose ने सिंगापुर में आजाद भारत की अस्थायी सरकार की घोषणा कर दी थी और साथ ही नए सिरे से आजाद हिंद फौज का गठन करके उसमें जान फूंक दी थी उस दिन भारतीय स्वतंत्रता लीग के प्रतिनिधि सिंगापुर के कैथे सिनेमा हाल में स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार की स्थापना की ऐतिहासिक घोषणा सुनने के लिए इकट्ठे थे हाल खचाखच भरा था खड़े होने के लिए इंच भर भी जगह नहीं घड़ी में जैसे ही शाम के 04 बजे मंच पर नेताजी खड़े हुए उन्हें एक खास घोषणा करनी थी ये घोषणा 1500 शब्दों में थी, जिसे नेताजी ने दो दिन पहले रात में बैठकर तैयार किया था।

आखिरी सांस तक स्वतंत्रता की पवित्र लड़ाई लडता रहूंगा

अस्थायी सरकार में Subhash chandra bose प्रधानमंत्री बने और साथ में युद्ध और विदेश मंत्री भी इसके अलावा इस सरकार में तीन और मंत्री थे साथ ही एक 16 सदस्यीय मंत्री स्तरीय समिति अस्थायी सरकार की घोषणा करने के बाद भारत के प्रति निष्ठा की शपथ ली गई जब सुभाष निष्ठा की शपथ लेने के लिए खड़े हुुए तो कैथे हाल में हर कोई भावुक था वातावरण निस्तब्ध फिर Subhash chandra bose की आवाज गूंजी, “ईश्वर के नाम पर मैं ये पावन शपथ लेता हूं कि भारत और उसके 38 करोड़ निवासियों को स्वतंत्र कराऊंगा. “उसके बाद Subhash chandra bose रुक गए उनकी आवाज भावनाओं के कारण रुकने लगी आंखों से आंसू बहकर गाल तक पहुंचने लगे उन्होंने रूमाल निकालकर आंसू पोछे उस समय हर किसी की आंखों में आंसू आ गए कुछ देर सुभाष को भावनाओं को काबू करने के लिए रुकना पड़ा फिर उन्होंने पढ़ना शुरू किया, “मैं Subhash chandra bose, अपने जीवन की आखिरी सांस तक स्वतंत्रता की पवित्र लड़ाई लडता रहूंगा मैं हमेशा भारत का सेवक रहूंगा 38 करोड़ भाई-बहनों के कल्याण को अपना सर्वोत्तम कर्तव्य समझूुंगा।

30 दिसंबर 1943 को आजाद भारत का झंडा भी फहरा दिया

Subhash chandra bose राज्याध्यक्ष, प्रधानमंत्री, युद्ध और विदेश मंत्री कैप्टेन श्रीमती लक्ष्मी महिला संगठन, एसए अय्यर प्रचार और प्रसारण, लै कर्नल एसी चटर्जी वित्त, लै. कर्नल अजीज अहमद, लै, कर्नल एनएस भगत, लै. कर्नल जेके भोंसले, लै. कर्नल गुलजार सिंह, लै. कर्नल एम जैड कियानी, लै. कर्नल एडी लोगनादन, लै. कर्नल एहसान कादिर, लै. कर्नल शाहनवाज (सशस्त्र सेना के प्रतिनिधि), एएम सहायक सचिव, रासबिहारी बोस (उच्चतम परामर्शदाता), करीम गनी, देवनाथ दास, डीएम खान, ए, यलप्पा, जे थीवी, सरकार इशर सिंह (परामर्शदाता), एएन सरकार (कानूनी सलाहकार) बोस की इस सरकार को जर्मनी, जापान, फिलीपीन्स, कोरिया, इटली, मांचुको और आयरलैंड ने तुरंत मान्यता दे दी जापान ने अंडमान और निकोबार द्वीप इस अस्थायी सरकार को दे दिए। नेताजी उन द्वीपों में गए उन्हें नया नाम दिया अंडमान का नया नाम शहीद द्वीप और निकोबार का नाम स्वराज्य द्वीप रखा गया 30 दिसंबर 1943 को इन द्वीपों पर आजाद भारत का झंडा भी फहरा दिया गया।

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