बाल मजदूरी से मज़बूर बचपन : सिर्फ कड़े कानून काफी नहीं, जागरूकता जरुरी

मोहम्मद तैय्यब का आलेख

यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि आज भी भारत मे पढ़े लिखे वर्ग के लोग भी अपने काम को निकालने के लिए बाल मजदूरी का प्रयोग सबसे ज्यादा करते है। अक्सर हम देखते है कि गरीब तबके के बच्चा जिस उम्र में उसके हाथ मे खिलोने और किताबे होनी चाइये उस हाथ मे वो किसी होटल के झूठे बर्तन की सफाई यह किसी के दुकान पर हाथ मे लिए झाड़ू लागते नज़र आता है और हम और आप उसे देखकर भी नज़रअंदाज़ कर देते है। कारण बस इतना कि वो एक गरीब परिवार से है और उसे अपने और अपने परिवार के जीवन यापन के लिए कोई और सहारा नही मिला तो मजबूरन उसने यह कदम उठा लिया।

हमारे देश की आजादी के इतने सालों बाद भी बाल मजदूरी हमारे देश के लिए कलंक बना हुआ है। हम आज भी यह बहुत ही विडंबना का विषय है कि आज की सदी के भारत में भी हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पा रहे है। बाल मजदूरी बड़े व्यपारियो और माफियाओ द्वारा एक व्यापार बना लिया है, जिसके कारण हमारे देश मे दिन प्रतिदिन बाल मजदूरी का ग्राफ बढ़ता जा रहा है और हमारे देश के बच्चो को बचपन खत्म होने के कगार पर है जिससे बच्चो का भविष्य तो खराब हो ही रहा और हमारे देश में गरीबी फैलती जा रही है। कारण शिक्षा के क्षेत्र विकास की रुकावट आती है।

हमें बाल श्रम को जड़ से मिटाने के लिए कड़े कानून बनाने होंगे साथ ही स्वयं को भी जागरूक होना होगा तभी इस बाल मजदूरी के अभिशाप से छुटकारा पाया जा सकेगा। किसी भी व्यक्ति के लिए बचपन ही सबसे अच्छा और सुनहरा वक्त होता है लेकिन जब बचपन में ही जिम्मेदारियों का बोझ नन्हे हाथों पर डाल दिया जाता है तो बचपन के साथ साथ उसकी पूरी जिंदगी खराब हो जाती है।

क्योंकि बच्चों से उनके माता-पिता या अभिभावक कुछ चंद रुपयों के लिए कठिन कार्य करवाते है जिससे वह बच्चा पढ़ लिख नहीं पाता है और वह किसी नौकरी करने के योग्य भी नहीं रह पाता है। इसलिए उसे मजबूरी वश जिंदगी भर मजदूरी करनी पड़ती है, जिससे उसका पूरा जीवन गरीबी में व्यतीत होता है। किसी भी बच्चे के लिए बचपन में काम करना एक बहुत ही भयावह स्थिति होती है क्योंकि कभी कभी बच्चों के साथ कुछ ऐसे कृत्य हो जाते है जिससे उनकी पूरी जिंदगी तबाह हो जाती है।

जैसे जैसे देश की आबादी बढ़ती जा रही है वैसे वैसे ही बाल मजदूर भी बढ़ते ही जा रहे हैं। इसे अगर जल्द ही रोका नहीं गया तो हमारे देश के लिए यह आने वाली सबसे बड़ी महामारी होगी। हमारी भारत सरकार ने बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए कई कानून बनाए हैं लेकिन उनकी पालन नहीं होने के कारण सड़क के किनारे बने ढाबों, होटलों इत्यादि में आज भी बच्चे बाल मजदूरी कर रहे होते है लेकिन कोई भी उनकी तरफ ध्यान नहीं देता है।

हमें एक भारत के सच्चे नागरिक होने का कर्तव्य निभाना चाहिए। जब भी आपको कोई बच्चा बाल मजदूरी करता हुआ दिखाई दे तो तुरंत नजदीकी पुलिस थाने मैं उसके खिलाफ शिकायत करनी चाहिए। जब तक हम स्वयं जागरुक नहीं होंगे तब तक सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों कि ऐसे ही अवहेलना होती रहेगी।

बाल मजदूरी के कारण

बाल मजदूरी का सबसे बड़ा कारण हमारे देश मे गरीबी का है। हमारे देश का गरीब तबका मज़बूरी के कारण अपने उन बच्चो को भी काम भर भेजने को मजबूर है जिन बच्चो के हाथों की कोमलता भी ठीक से खत्म नही होती है।

शिक्षा की कमी के कारण परिवार यही समझता है कि उनका बच्चा जितने जल्दी कमाना सिख जाए उतना जल्दी उनके परिवार का भरण पोषण अच्छे से हो। बाल श्रम का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि कुछ अभिभावक के माता पिता लालची होते हैं, जो कि स्वयं कार्य करना नहीं चाहते और अपने बच्चों को चंद रुपयों के लिए कठिन कार्य करने के लिए भेज देते है।

बाल श्रम को बढ़ावा इसलिए भी मिल रहा है क्योंकि बच्चों को कार्य करने के प्रतिफल के रूप में कम रुपए दिए जाते हैं जिसके कारण लोग बच्चों को काम पर रखना अधिक पसंद करते है। बाल श्रम बढ़ने का एक कारण और भी है क्योंकि हमारे देश में लाखों की संख्या में बच्चे अनाथ होते हैं तो कुछ माफिया लोग उन बच्चों को डरा धमका कर भीख मांगने और मजदूरी करने भेज देते है। बाल श्रम को बड़ा मिलने का एक कारण यह भी है कि बाल श्रम पर बने कानून की पालना नहीं की जाती है।

अंत मे मेरा इस ब्लॉग के माद्यम से यही निवेदन है कि भारत सरकार बाल श्रम पर कड़े से कड़ा कानून बनाते हुए कड़ी से कड़ी कार्यवाही करे। जिससे हमारे देश के आने वाली नई पीढ़ियों के बच्चे का बचपन बेहतर और खूबसूरत पल भरा हो।

मोहम्मद तैय्यब, लॉ स्टूडेंट 

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