लखनऊ : एक तरफ जहाँ आज भी हमारे समाज में लड़कियों की लड़कियां कम उम्र में ब्याह दी जाती है, वहीँ अधिकांश लड़कियों की पढाई शादी के बाद ख़त्म हो जाती है, क्योंकि सामाजिक लोक-लाज के तले लड़कियां चारदीवारियों में कैद होकर रह जाती है. इतने पर भी अगर कोई लड़की शादी के बाद पढाई जारी रखने का हिम्मत करती है, तो कॉलेज में 80 प्रतिशत अनिवार्य उपस्थिति उनकी उम्मीदों पर पानी फेर जाती है, क्योंकि गर्भवती होने के बाद 80 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज नहीं करवा पाती.इसके मद्देनज़र इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए मातृत्व अवकाश के चलते कालेज में 80 प्रतिशत उपस्थिति न दर्ज करा पाने वाली छात्रा को छूट का हकदार माना है और छात्रा को परीक्षा में बैठने देने का आदेश दिया है।
दरअसल महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कालेज झांसी में डॉ. आबरीन अख्तर एनेस्थीसियोलॉजी डिप्लोमा कोर्स कर रही हैं। आबरीन गर्भवती होने के कारण प्रथम वर्ष में वह 63.93 फीसदी ही उपस्थिति दर्ज करा सकी। हालांकि दूसरे वर्ष में उनकी उपस्थिति 94.64 प्रतिशत रही। लेकिन जब परीक्षा की तिथि आयी तो कालेज प्रशासन ने आबरीन की परीक्षा फीस जमा करने से इन्कार करते हुये परीक्षा में बैठने से रोक दिया। आगामी 15 जून को परीक्षा थी ऐसे में आबरीन के पास कोर्ट जाने के अलावा और कोई विकल्प सामने नहीं था।
कालेज प्रशासन की ओर से बताया गया कि 80 प्रतिशत उपस्थिति न दर्ज करा पाने के कारण वह परीक्षा नहीं दे सकती। आबरीन ने अपनी प्रेग्नेंसी की दलीलें दी। लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार आबरीन ने हाईकोर्ट की शरण ली। जहां से उसे राहत दी गई और अब आबरीन परीक्षा दे सकेगी ।