काव्य कार्नर का सफल साहित्यिक प्रयास : रक्षा बंधन प्रतियोगिता
काव्य कार्नर का सफल साहित्यिक प्रयास : रक्षा बंधन प्रतियोगिता

काव्य कार्नर का सफल साहित्यिक प्रयास : रक्षा बंधन प्रतियोगिता

काव्य कार्नर का सफल साहित्यिक प्रयास : रक्षा बंधन प्रतियोगिता

काव्य कार्नर का मंच साहित्य, कला व संस्कृति जैसी सभी विधाओं की प्रतिभाओ को प्रोत्साहित करता है इसी सत्र में काव्य कार्नर साहित्यिक मंच द्वारा रक्षा बंधन के पावन व शुभ अवसर पर रक्षा बंधन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से कवि व कवियित्रियों ने भाग लिया । बेहद सुन्दर व हृदयस्पर्शी रचनायें इस प्रतियोगिता का हिस्सा रही ।

इस प्रतियोगिता में श्री मुकेश बिस्सा, सुश्री मेघना खन्ना, श्री सुमित यादव, सुश्री स्वाति पाठक, सुश्री ओजस्विनी सचदेवा, श्री शुभम शर्मा, सुश्री आरती मनचंदा , श्रीमती ज्योति उपाध्याय , श्री रिषभ जैन , श्री कुबेर शर्मा , सुश्री मजीदा, सुश्री अनुपम चितकारा , सुश्री राधा गुप्ता आदि ने विभिन्न राज्यों से भाग लिया ।

3 अगस्त को रक्षा बंधन के दिन इस प्रतियोगिता के परिणामों की घोषणा की गयी और संस्था के अनुसार 3 श्रेष्ठ रचनाओं को पुरुस्कार स्वरूप डिजिटल प्रमाण पत्र दिए गए एवं ये भी बताया गया कि एकलव्यम क्रिएशन की वेबसाइट पर प्रतियोगिता विजेताओं को विशेष स्थान दिया जाएगा ।
इस प्रतियोगिता में कवि श्री तालिब हुसैन प्रथम, कवियित्री ऊषा रानी नई दिल्ली से द्वितीय और युवा कवि अंकुर सक्सेना तृतीय स्थान पर रहे । तीनो की ही रचनायें बेहद सुंदर व हृदयस्पर्शी थी ।

तालिब हुसैन की रचना की पंक्तियाँ पढ़ते ही दिल में उतार जाती है –
रक्षा का है कवच रक्षा बंधन
प्यार का है सच रक्षा बंधन।
भाई बहन का दुलार और
प्यार का धर्म है रक्षा बंधन।

उषा जी की कविता एक विवाहित बहन की भावनाओं का भावपूर्ण दृश्य खींचती नज़र आती है –
कच्चे धागे का खेल पता नहीं
कब बंधन बन जाता है ।
सबसे पवित्र ये नाता सीधे
मन से ही जुड़ जाता है ।

युवा कवि अंकुर सक्सेना की ये पंक्तियां समाजिक कुरीतियों पर एक प्रहार करने के साथ-साथ, एक भाई के मन में उठने वाली टीस को भी दर्शाती है –
बहन की आंखें भीगी सी है भाई से यह कहती है
नई चोटें नए घर में ही वो हर रोज़ सहती है
के मां बाबा तो कहते थे बहुत ही खुश रहेगी वो
मगर उस घर में तो जिल्लत ही वो हर रोज
सहती है

एकलव्यम क्रिएशन व काव्य कार्नर की संस्थापिका डॉ. पूजा सिंह गंगानिया, सह संस्थापक श्रीमती शिल्पी चौहान जी , श्री प्रदीप कुमार सिंह व श्री अमित चौहान ने अपने इस साहित्यिक प्रयास पर प्रसन्नता जताते हुए बताया कि भविष्य में भी एकलव्यम क्रिएशन के द्वारा कला, संस्कृति व साहित्यिक प्रतियोगिताओं का आयोजन निरंतर होता रहेगा ।

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