सुपौल : दुनिया में जहाँ एक तरफ हमारा सामना कुछ बेईमान और भ्रष्ट लोगों से होता रहता है, वहीँ ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो न सिर्फ ईमानदारी का दिखावा करते हैं, बल्कि समय आने पर अपनी ईमानदारी को साबित भी करते हैं। कुछ ऐसा हीं हुआ, जब एक शख्स का रुपयों व जरुरी कागजात से भरा बैग कही गिर कर खो गया। लेकिन वो बैग एक ऐसे युवक के हाथ लगा, जिन्होंने बिना किसी लालच के अपने स्तर से हरसंभव प्रयास कर उस बैग को उसके उचित जगह तक पहुँचाया। अपना खोया बैग पाकर उस शख्स के ख़ुशी का ठिकाना न था। पूरा मामला बिहार के जनपद सुपौल के प्रतापगंज प्रखंड के गोविंदपुर गांव का है।
जानकारी के मुताबिक गांव के रहने वाले समाजसेवी सुमित झा घर से किसी काम के लिए निकले थे। तभी एनएच-57 पर पड़े एक लावारिस बैग पर उसकी नज़र पड़ी। उन्होंने बैग उठाया और खोलकर देखा, तो उसमें कुछ कैश, जरुरी कागजात, मोबाइल फ़ोन व कुछ अन्य सामान मिले। बैग में मौजूद कागजातों के आधार पर बैग स्वामी का पता चला, जिसके बाद सुमित ने उस बैग को बैग स्वामी तक पहुँचाने का निर्णय लिया।
इस बाबत पहले तो उन्होंने थाने में जाकर संपर्क किया, जिसके बाद उन्होंने कुछ मीडियाकर्मियों से भी बात की और सोशल मीडिया के जरिये भी बैग स्वामी से संपर्क साधने की कोशिश की गई। कागजातों के आधार पर मिले फ़ोन नंबर पर भी संपर्क साधा गया। आख़िरकार सुमित की कोशिश रंग लाई और दिल्ली के द्वारका में रहने वाले अनिल सक्सेना सुमित के घर पहुंचे और अपना खोया बैग प्राप्त किया।
अपना खोया बैग प्राप्त कर अनिल सक्सेना के ख़ुशी का ठिकाना न रहा। उन्होंने तो शायद ये सोच लिया था कि उनका खोया बैग मिलना मुश्किल हीं नहीं नामुमकिन है, लेकिन सुमित ने उनका बैग लौटा कर न सिर्फ उनके इस सोच को झूठा साबित कर दिया, बल्कि मानवता की एक मिसाल पेश की है। इस काम से भले हीं भौतिक तौर पर सुमित को कुछ हासिल न हुआ हो, लेकिन आत्मिक तौर पर उन्हें जो संतुष्टि मिली, उसकी कोई कीमत नहीं लगाई जा सकती।