लोकपति सिंह की रिपोर्ट :
चंदौली : मानव जीवन संसार रूपी सागर को पार करने के लिए मिला है। परमात्मा ने जीव के कल्याण के लिए मानव रूपी शरीर बनाया है। ईश्वर की भक्ति संतों की संगति दीन दुखियों की सेवा दान-पुण्य करके मानव जीवन भवसागर को प्राप्त कर सकता है उक्त बातें खरौजा ग्राम सभा के हिनौती मौजा स्थित हनुमान मंदिर पर श्रीमद् भागवत कथा के सातवें एवं अंतिम निशा पर वृंदावन से पधारे कथावाचक हनुमान दास जी ने व्यक्त करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि अहंकार भगवान को कदापि पसंद नहीं है। जब मनुष्य में अहंकार भर जाए और कर्मों में पाप का समावेश हो जाए, तो उसके समूल नष्ट के लिए चतुर्भुज रूपी भगवान विष्णु को धरती पर अवतार लेना पड़ता है। आताताई रावण, हिरण कश्यप, कंश,शिशुपाल जैसे अहंकारी और दुष्टों का बध करने के लिए भगवान स्वयं धरती पर आना पड़ा। कहा कि मनुष्य के कर्म अच्छे हो तो उसे धरती पर ही मोक्ष प्रदान हो सकता है। कथा के अंत में कृष्ण, सुदामा, माता रुक्मणी, द्वारपाल के रूप में बाल कलाकारों ने झांकी निकालकर सबका मन मोह लिया। इस अवसर पर आयोजक आनंद सागर, विश्वनाथ दुबे,जय प्रकाश शर्मा, राजेश सिंह, नारायणी सिंह, डॉ गीता शुक्ला, पूनम सिंह, पूनम पांडेय, ग्लोरी,आस्था आदि उपस्थित रहे।