विकास चन्द्र अग्रहरि की रिपोर्ट :
मिर्ज़ापुर : अहरौरा माँ भण्डारी देवी के मनवना उत्सव में लगभग पांच हजारो के श्रध्दालुओ के साथ डोली यात्रा निकाली गई। प्राचीन नगरी अहरौरा है, जो भारतीय आद्य कालीन इतिहास है। वर्तमान अहरौरा के मुख्य बाजार से दो किलोमीटर उत्तर में एक पहाड़ के उपर मैदानी जमीन पर मां भण्डारी का भव्य मंदिर है, जिसे भण्डारी देवी के पहाड़ के रूप में जाना जाता है।
भण्डारी देवी को शक्ति पीठ का दर्जा प्राप्त है। ऐसा माना जाता है कि मां भण्डारी अपने ससुराल में निवास करती है, जबकि मां का मायका अहरौरा बाजार के तीन किलोमीटर दक्षिण-पूर्व के कोने में स्थित एक पहाड़ी के उपर ,है जिसे उनके भाई राजा करपाल की पहाड़ी के रूप में देखा जाता है। यह पहाड़ वर्तमान के सीउर ग्राम में है, जो हिनौता ग्राम सभा में स्थित है। मां भण्डारी का प्रत्येक तीन वर्ष में विदाई समारोह होता है। वह अपने भाई के पास तीसरे वर्ष मिलने के लिए चली जाती है, जिन्हें सावन मास में गौना कराने के लिए वर पक्ष के हजारों नर नारी मां के गीत वंदना करते हुए राजा करपाल की पहाड़ी की ओर मां भण्डारी की मंदिर से बाजे- गाजे, फल-फूल, कपड़े, श्रृंगार सामग्री, मीठा और तमाम तरह के पारम्परिक व्यंजनों संग पहुंचते हैं।
मां का डोला यात्रा अहरौरा डीह, बस स्टैंड, चौक बाजार, गोला सहुवाईन,मुहल्ला कटरा, ग्राम बेलखरा होते हुए सीउर पहुंचता हैं। पहाड़ी पर पहुंचने पर मां की ओर से दर्शनीया रामजनम पाल और वर पक्ष के दर्शनिया के बीच संवाद होता है। फिर मां भण्डारी की सवारी डोली में होती है और डोली का वजन बढ़ जाता है, जिसे चार कहार काफी मशक्कत के बाद भण्डारी देवी मंदिर की ओर जयकारों के बीच बढने लगते हैं।
उत्तर प्रदेश के देवी धामों की महिमा में कहीं भी इस तरह की धार्मिक परम्परा देखने और सुनने को नहीं मिलती है, क्योंकि देवी की विदाई के दौरान कई प्रकार के गिला-शिकवे होते हैं और डोली के सामने नैहरवाले नहीं जाते हैं और अगर पहुंच जाते हैं तो मोहवश मां भण्डारी पुन:वापस नैहर की ओर लौट जाती है। डोली हल्की हो जाती है और वर पक्ष के लोग पुन:पहाड़ी पर पहुंचकर मान मनौवल किया करते हैं।
इस विदाई डोली यात्रा में प्रशासनिक अमला भी सक्रिय नजर दिखी, जिसमें अहरौरा थाना प्रभारी मनोज कुमार ठाकुर, अहरौरा नगर चौकी प्रभारी आलोक कुमार सिंह अपने मय हमराहियों के साथ मौजूद रहे।