आशीष झा के फेसबुक वॉल से साभार
आज हनुमान जयन्ती है। फेसबुक पर लगभग सबको देख रहा हूँ कि गुस्से से आग-बबूले हुए हनुमान जी की यही फोटो लगाकर शुभकामनाएं बाँट रहे है। तस्वीर में लग रहा है कि वे किसी से प्रतिशोध लेना चाहते है। अभिव्यक्ति के साथ-साथ हमारे देश में फोटो लगाने की भी स्वतंत्रता है..इसलिए कोई बात नहीं।
हमलोगों में से लगभग सभी ने रामायण देखी होगी। क्या हनुमान जी इतने क्रोधित स्वभाव के थे? क्या हमारे घरों में हनुमान जी की ऐसी तस्वीर पूजी जाती है?? वो तो अपने प्रभु श्रीराम के शत्रु रावण से भी मुस्कुराते हुए रण में अपना कौशल दिखा रहे थे। लक्ष्मण के घायल होने के बाद भी वे दुखी होकर संजीवनी लाने चले गए लेकिन इस तरह क्रोधित और प्रतिशोधी कभी न हुए। तो आखिर क्यों उनका यह प्रतिशोधी चेहरा अब लाया जा रहा है??
भगवान श्रीराम की तस्वीर जो हम हमारे घर में पूजी जाती है उसमें वो शांत और चेहरे पर एक हँसमुख तेज लिए होते है।..लेकिन आजकल इन तस्वीरों को एक तरफ समेटकर किसी भी मौके पर श्रीराम की धनुष का प्रत्यंचा खींचे गुस्से से नीले पड़ चुके और प्रतिशोध के लिए लालायित तस्वीर पेश की जाती है।
हे धर्म के रक्षकों, हमारे प्रभु श्रीराम और हनुमान ऐसे नहीं है। वे मर्यादापुरुषोत्तम है तो दूसरे भक्ति के प्रेरणा है। लेकिन आप क्यों बार-बार उनका रूप बदलने पर तुले हुए है?? हमारे आराध्य हमें हर विषम परिस्थिति में भी शांत और विवेक से काम लेने का उपदेश देते है। किसी भी आराध्य ने किसी भी धार्मिक शास्त्र में अपने भक्तों को गुस्सा करने के लिए नहीं कहा है।
आज उनके सारे छवि को हटाकर इस क्रोधित तस्वीर को आगे रखकर उन्हें ही प्रतिशोधी दिखाने की कोशिश की जा रही है। इस भ्रमयुग और कल्पना युग से बचकर रहिएगा..ये कल्पना में हमें आराध्यों के और भी कई रूप दिखाने की कोशिश करेंगे। चाहे वह रूप उनके कल्पना मात्र में ही बुनी हुई हो।