गोल्ड पर जीएसटी का झटका, अब पुरानी गोल्ड ज्वैलरी बेचने पर भी लग सकता है GST , कम हो जाएगी बरकत
नई दिल्ली, 17 अगस्त 2020
अब पुराने गोल्ड ज्वैलरी को बेचने पर भी तीन फीसदी का वस्तु एवं सेवा कर (GST) चुकाना पड़ सकता है. जीएसटी की अगली कौंसिल में इसका निर्णय हो सकता है. केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने यह सूचना दी है. इसका तात्पर्य यह है कि लोगों को पुरानी ज्वैलरी बेचने पर फायदा पहले से कम हो जाएगा. तथा अब पुराने सोने और ज्वैलरी की बिक्री पर GST लगाने की तैयारी हो रही जीएसटी कौंसिल जल्द ही निर्णय ले सकती है
वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने बताया कि हाल ही में राज्यों के वित्त मंत्रियों के एक संघ (जीओएम) में पुराने सोने और जेवरों की बिक्री पर तीन फीसदी का वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने के प्रकरण पर लगभग सहमति बन गई है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार इस मंत्री समूह में केरल, बिहार, गुजरात, पंजाब, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री शरीक हैं. इस मंत्री संघ का गठन सोने और बहुमूल्य रत्नों के परिवहन के लिए ई-वे बिल के क्रियान्वयन की समीक्षा के लिए किया गया था. मंत्री समूह की सभा वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हुई.
वित्त मंत्री इसाक ने बताया, ‘यह तय किया गया है कि पुराने सोने की बिक्री पर 3 फीसदी का जीएसटी आरसीएम (रिवर्स चार्ज मेकैनिज्म) के द्वारा लगाया जाए. अब समिति के अधिकारी इसके तौर-तरीकों पर विचार करेंगे.’
यानी नई व्यवस्था लागू होने के पश्चात यदि कोई ज्वैलर पुराने आभूषण आपसे खरीदता है तो वह रिवर्स शुल्क के रूप में तीन फीसदी जीएसटी आपसे वसूल करेगा. आप एक लाख रुपये की पुराने आभूषण बेचते हैं तो जीएसटी के रूप में 3000 रुपये काट लिए जाएंगे.
दुकानदारों के लिए ई-वे बिल भी अत्यावश्यक है
जीओएम ने यह भी निर्णय किया है कि सोने और जेवरों की दुकानों को प्रत्येक खरीद और बिक्री के लिए ई-इनवॉयस (ई-बिल) निकालना होगा. यह कदम टैक्स चोरी रोकने के लिए उठाया जा सकता है. अभी भी छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरों में कई जगह सोने की बिक्री के बाद दुकानदार कच्चा बिल देते हैं. यह पूरी प्रक्रिया कर चोरी रोकने और काला धन खपाने के लिए होती है. अब इस पर रोक लगाने के लिए ई-बिल निकालना अत्यावश्यक करने की तैयारी है.
सभा में बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा, ‘यह निर्णय किया गया है कि अगर कोई राज्य सोने के लिए ई-वे बिल का क्रियान्वयन करना चाहता है, तो वह राज्य के अन्दर सोने को एक जगह से दूसरी लगह भेजने के मामलों में ऐसा कर सकता है.
ई-वे बिल के तहत सोने को लाने की तैयारी टैक्स चोरी की बढ़ती घटना को देखते हुए किया गया है. जीएसटी लागू होने के बाद सोने से मिलने वाले राजस्व में गिरावट आई है. इसलिए
यह तैयारी की जा रही है।
हालांकि, जीओएम का मानना है कि एक राज्य से दूसरे राज्य में सोने के परिवहन के लिए ई-वे बिल का क्रियान्वयन व्यावहारिक नहीं होगा।