द्वारकेश बर्मन की रिपोर्ट :
मथुरा : भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली के प्रमुख शिवालयों का सम्बंध द्वापर युग की लीलाओं से जुड़ा हुआ है। यहां श्री कृष्ण की एक झलक पाने को ललायित हिमालय से शिव शंभू ‘औघड़’ के रुप में यहां पधारे थे। तब उन्होंने गोकुल पहुंच कर माता यशोदा से बाल कृष्ण की एक झलक पाने की ज़िद की थी, किंतु बाबा शंकर के डरावने रुप को देख वात्सल्य की मूरत माता यशोदा ने दर्शन करवाने से साफ इंकार कर दिया था।
माता यशोदा के इंकार के चलते बाबा बर्फानी यमुना तट पर धूनी रमाकर बैठ गये थे। यह देख भगवान बालकृष्ण ने अचानक रुदन शुरू कर दिया, जिसे देख माँ यशोदा विचलित हो उठीं। तभी माता यशोदा से किसी ने कहा की वह औघड़ बाबा यमुना तट पर बैठा है, निश्चित ही उसी ने कुछ किया होगा। यह सुन यशोदा माई और चिंतित व व्याकुल हो उठीं। तब माँ यशोदा ने भोले बाबा को नन्द भवन में बुलवाकर बालगोपाल के दर्शन करवाये।
यही नही श्रीधाम वृंदावन में श्री कृष्ण की महारास लीला का अवलोकन करने के लिये भगवान शिव नें “गोपी” रुप भी धारण किया था। श्री कृष्ण व बाबा बर्फानी की इस लीला को साकार करता यहां का गोपीश्वर महादेव मंदिर भी जन-जन की आस्था का केन्द्र है।