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वाह भगवान, जब सब तुझे ही करना तो फिर हम माथा-पच्ची क्यों करें?

आलेख : ओ.पी.मिश्र लखनऊ : किसी भी देश में ईश्वर के अस्तित्व को माना जाये या न माना जाये लेकिन इतना तय है कि हमारे देश भारत में ईश्वर का अस्तित्व यकीनन है क्योंकि यहाँ न तो कोई ढंग से काम करना चाहता और न ही उसे अपनी किसी जिम्मेदारी का अहसास है। मैं समझ नहीं पाता हूँ कि जिस …

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सदन में गतिरोध का जिम्मेदार कौन ? करोड़ों के नुकसान को लेकर सरकार और विपक्ष में घमासान

नई दिल्ली : भारतीय संविधान की धज्जियाँ उड़ाते हुए सरकार और विपक्ष के सांसद ने संसद में जो कार्रवाई की है और संसद नहीं चले दिया है, इसकी साड़ी जवाबदेही दोनों पक्षों के सांसदों पर जाती है। TDP और कांग्रेस के सांसदो ने जो उथल पुथल मचाई है और स्पीकर के सामने उनके दफ्तर में उसका धरना प्रदर्शन किया, जिसके …

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देश में आरक्षण की समस्या और उनसे निपटने की नाकाम कोशिशें ! पढ़ें ये आलेख

आलेख : द्वारकेश बर्मन आरक्षण एक ऐसा शब्द है, जिसका नाम हर दूसरे व्यक्ति के मुह पर है, अर्थात् आरक्षण भारत में, बहुत चर्चा मे है। वैसे तो हम, इक्कीसवी सदी में जी रहे है और अब तक आरक्षण की ही लड़ाई लड़ रहे है। युवाओं और देश के नेताओं के लिये आज की तारीख मे सबसे अहम सवाल यह …

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हनुमान जयंती विशेष : हनुमान जी की ऐसी तस्वीरें शेयर कर आखिर हम साबित क्या करना चाहते हैं ?

आशीष झा के फेसबुक वॉल से साभार आज हनुमान जयन्ती है। फेसबुक पर लगभग सबको देख रहा हूँ कि गुस्से से आग-बबूले हुए हनुमान जी की यही फोटो लगाकर शुभकामनाएं बाँट रहे है। तस्वीर में लग रहा है कि वे किसी से प्रतिशोध लेना चाहते है। अभिव्यक्ति के साथ-साथ हमारे देश में फोटो लगाने की भी स्वतंत्रता है..इसलिए कोई बात …

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और फिर अधूरी रह गयी आडवाणी की आस, ये कसक अब मरते दम तक रहेगी !

नई दिल्ली : और एक बार फिर बची-खुची आया भी धरी की धरी रह गयी, आडवाणी की। अभी कल तक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम के तौर पर आडवाणी का नाम ज़ोर-शोर स उछाला जा रहा था। कई लोग तो ये तय मान कर चल रहे थे कि लाल कृष्ण आडवाणी ही देश के अगले राष्ट्रपति होंगे, लेकिन वहीँ …

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