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क्या है अमेरिका में होने वाला शटडाउन ? आम लोगों पर कैसे पड़ता है इसका असर

नई दिल्ली : आजकल अमेरिका में सरकारी शटडाउन की स्थिति बनी हुई है या यू कहे कि अमेरिका फिर से एक बार शटडाउन का सामना कर रहा है. क्या आप जानते हैं कि सरकारी शटडाउन क्या है ? अमेरिका में शटडाउन कैसे होता है ? इसके पीछे क्या कारण है ? इसके क्या परिणाम हो सकते हैं ? बाकी देशों …

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बदलते दौर में फिल्मों में हीरो के खलनायक बनने की बदलती वजहें !

नई दिल्ली : आज़ादी के 10 साल बाद 1957 में देश में खेती और किसान की बदहाली दिखाती फिल्म ‘मदर इंडिया’ को दर्शकों ने बहुत सराहा। जहां साहूकार जो अमीर है, किसान को कर्ज़ की मार के नीचे दबोचता हुआ दिखाई देता है। जहां एक किसान परिवार का मुख्य सदस्य खुदकुशी के लिए मजबूर होता है, एक मां अपने दो …

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विपक्षी एकजुटता से बीजेपी के लिए मुश्किल हो जाएगी 2019 के लोकसभा चुनाव की राहें ? यहाँ समझिए पूरा राजनीतिक समीकरण

नई दिल्ली : देश में होने वाले आम चुनाव में अब कुछ ही समय बाकी रह गया है। ऐसे में तमाम राजनीतिक पार्टियों ने अपने अपने हिसाब से रणनीतियों को धार देना शुरू कर दिया है। बीजेपी जहां मोदी सरकार के 5 साल के कामकाज को आधार बनाकर एक बार फिर जनता को अपने पक्ष में करने की कोशिश करती …

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असम, त्रिपुरा, मणिपुर, मेघालय में क्यों हो रहा है नागरिकता संशोधन बिल का विरोध ?

रवीश कुमार के फेसबुक वाल से साभार मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन बिल को लोक सभा में पास करा लिया है। इसके प्रावधान के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में सताए गए वैसे हिन्दू, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारत में छह साल रहने के बाद नागरिकता दी जा सकती है जो 31 दिसंबर 2014 के पहले भारत आ …

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क्या प्रेम में शारीरीक संबंध जरूरी होता है ? इसे सिर्फ शरीर तक सीमित क्यों कर दिया गया है ?

आलेख : रचना गुप्ता अगर प्रेम में शारीरिक संबंध से आपका अभिप्राय विवाह से पहले शारीरिक संबंधों से है तो मेरा उत्तर “नहीं” होगा.! प्रेम में शारीरिक संबंधों की जरूरत नहीं होती.. प्रेम की अपनी सुंदरता है, कितनी सुंदर तरीकों से अपने आप को व्यक्त करता है? अलग-अलग तरह से.. अपने प्रियतम की आंखों में आंखें डाल कर देखें उनका …

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तंगहाल में बीता बचपन कड़ी मेहनत और लगनशीलता से बनाई पहचान

लखनऊ : विपरीत परिस्थितियों से जूझ कर यदि कोई लड़की सभी बाधाओं को पछाड़ते हुए आगे बढ़े एक मुकाम हासिल कर एक सशक्त नारी के रूप में उभरकर सामने आए तो यकीनन हैरानी होना लाजमी है। ऐसी ही चौंकाने वाली और प्रेरणादायक कहानी है डॉ रेखा रोहितश्रव गौर की जो कि कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट में बतौर वैज्ञानिक रही हैं। इतना ही …

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‘जब माहौल अचानक राममय हो जाए तो समझ लीजिए चुनाव का मौसम आ गया है’

स्वराज अभियान के नेता योगेन्द्र यादव का आलेख : नई दिल्ली : इस दीपोत्सव पर भाजपा को राम लला की याद कुछ ज्यादा ही सता रही है। दिवाली तो पिछले चार साल भी आई थी, लेकिन अयोध्या जाकर घोषणा का विचार इस बार ही आया है। न जाने कहां से संत समाज से लेकर किन्नर अखाड़ा तक बाहर निकल आए …

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समूचे समाज की सुरक्षा जिनके कंधों पर, क्या उनकी भी परवाह है किसी को ?

श्रीनिवास सिंह मोनू की रिपोर्ट : लखनऊ : आज हमारे समाज में तरह-तरह की कुरीतियां व्याप्त हैं। तरह-तरह की अफवाहें फैला करती हैं, अनेको अनेक घटनाएं दुर्घटनाएं दिन और रात चला करती हैं। जाड़ा गर्मी बरसात सभी मौसमों में बराबर अपनी सेवाएं देते रहते हैं। क्षेत्र चाहे जैसा भी हो मैदानी, जंगली हो या फिर पहाड़ी कभी अपने कर्तव्यों से …

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पढ़ें भारतीय संस्कृति में दिवाली पर्व की महत्ता को रेखांकित करता हमारा ये आलेख

लखनऊ (द्वारकेश बर्मन) : असतो मां सद्गमय,तमसो मां ज्योतिर्गमय,मरतयोमार अंर्तगम्य। अस्त से सात की ओर चल,मृत्यु से अमरत्व की ओर चल। भारतीय वांगमय के सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ और वेदों का यह उद्घोष यदिसर्वाधिक चरितार्थ हुआ दिखाई देता है तो वह सिर्फ पावन पुनीत प्रकाश के पर्व दीपावली पर दिखता है। दीपावली पर दीपों की जगमगाती माला सदियों से यही संदेश सुनाती …

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ज्‍यादा जीने का मतलब बुढ़ापे को ज्‍यादा झेलना है ?

दीप्ति गरजोला के ब्लॉग से साभार : अच्‍छा नहीं लगा ना यह जानकर कि ज्‍यादा जीने का मतलब बुढ़ापे को ज्‍यादा झेलना है। मगर यह सच है। हम में से शायद ही कोई ऐसा होगा जो कम जीना चाहता होगा। हम सभी लंबी उमर की कामना तो करते हैं पर बुढापे की कल्‍पना कोई नहीं करना चाहता। हाल ही में …

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