कृष्ण-सुदामा मिलन प्रसंग ने भक्तों को किया भावविह्वल

रामकृष्ण पाण्डेय की रिपोर्ट

सीतामढ़ी भदोही क्षेत्र के बेरवांपहाड़पुर गांव निवासी जयप्रकाश पाण्डेय के यहां हो रहे भागवत कथा के अंतिम दिन व्यास पीठ से बोलते हुए श्री दया महाराज ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण पतितपावन हैं, बड़े-बड़े असुरों का उद्धार करने वाले गोविंद अपने भक्तों का कल्याण भी अविलम्ब करते हैं। महाराज ने सुदामा चरित्र का व्याख्यान करते हुए कहा कि मनुष्य के धैर्य की पहचान गरीबी से होती है। सुदामा ने अपने बुरे समय में भी भगवान का भजन-भक्ति करना नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा कि मनुष्य का परम धन गोविंद नाम है, जो हर समय उसके काम आता है। महाराज ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण अपने बचपन के मित्र की दशा देखकर दंग रह गए। कान्हा ने अपने नेत्रों के जल से सुदामा जी के चरणों को धोकर पूरे समाज को सुखद संदेश दिया कि मनुष्य धन से बड़ा नहीं, बल्कि अच्छे विचारों से बड़ा होता है। अंत में कृष्ण व सुदामा मिलन का अलौकिक प्रसंग सुन श्रोता भावविभोर हो उठे तथा भक्ति भजनों से क्षेत्र गुंजायमान हो उठा। इस अवसर पर प्रमुख रूप से त्रयंबकनाथ पाण्डेय, श्यामधर मिश्र, रविशंकर पाण्डेय, राजकुमार, गोपालनारायण, अरविन्द पाण्डेय, मुनीष पाण्डेय सहित बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित रहे।

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